धामी के तीस दिन बता रहे हैं कुछ तो हुआ
देहरादून। उत्तराखंड के नए मुयमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पद संभालने के पहले ही दिन से सियासत की खुरदरी पिच पर जिस तरह से बैटिंग शुरू की वैसे प्रदर्शन की उनसे किसी को भी उमीद नहीं थी। उन्हें गैर अनुभवी बताकर हल्के में लेने वाले लोगों की उन्होंने सिर्फ तीस दिन में बोलती बंद कर दी है। उनका एक माह का काम और फैसले पूर्ववर्ती टीएसआर सरकार के साढ़े चार सालों पर भारी पड़ते दिख रहे हैं।
बीते 4 जुलाई को पुष्कर सिंह ने वर्तमान भाजपा सरकार के तीसरे मुयमंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में उन्होंने अपने 6 संकल्पों के माध्यम से यह संकेत दे दिए थे कि वह क्या करने वाले हैं। उन्होंने सबसे पहले मुय सचिव का स्थानांतरण कर अधिकारियों में हड़कंप मचा दिया था। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि वह नौकरशाही को ताश के पत्तों की तरह फेंट डालेंगे। क्योंकि उनसे पूर्व के मुयमंत्री किसी एक अधिकारी को भी इधर—उधर करने का साहस नहीं दिखा पाए थे।
मुयमंत्री धामी का पहले दिन से ही एक सूत्र वाक्य रहा है जो करूंगा जनता के हित में करूंगा तथा जनता जो चाहती है वही करूंगा। उन्होंने पहले ही दिन से यह तय कर रखा था कि उन्हें किन—किन बिंदुओं पर काम करना है। सैन्य बाहुल्य प्रदेश में सैनिकों के समान की बात के बिना राजनीति संभव नहीं है यही कारण है कि उन्होंने वार वीरांगनाओं को मिलने वाली पेंशन को 8 से बढ़ाकर 10 हजार कर दिया। हल्द्वानी में सैनिकों के बचों के लिए हॉस्टल निर्माण को हरी झंडी दे दी। गेस्ट टीचर का मानदेय बढ़ा दिया गया। कोरोना से निपटने के लिए अहम भूमिका निभाने वाले डॉक्टर, नर्सों तथा सहायक स्टाफ को समान या प्रोत्साहन राशि के रूप में 200 करोड़ की राशि देकर बड़ा काम किया गया। मेडिकल कॉलेजों के लिए 500 पद सृजित करके स्वास्थ्य सुविधा को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाए। परिवहन व पर्यटन को कोरोना के कारण हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए भी किसी तरह की कंजूसी नहीं दिखाई। कोरोना से अनाथ हुए बचों की परवरिश के लिए उन्होंने एक ऐसी बेहतर योजना जिसे मुयमंत्री वात्सल्य योजना का नाम दिया गया है शुरू की गई। जिसकी सभी प्रशंसा कर रहे हैं। ठीक उसी तरह उन्होंने महालक्ष्मी योजना की शुरुआत भी की है जिसका लाभ नवजात बचियों व प्रसुताओं को मिल रहा है।
कम समय में अधिक काम करने वाले सीएम धामी का कहना है कि चुनौतियों को ही तो अवसर में बदलना है। रोजगार के मुद्दों पर उनका कहना है कि 15 अगस्त तक बड़ी संया में नौकरियों की विज्ञप्ति जारी होने वाली है। वही अत्यंत उलझा देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार और भू—कानून जैसे मुद्दों को वह समितियों के हवाले कर चुके हैं। उन्होने एक माह में जो किया है उसे अगर 4 से गुणा कर दें तो वह अपनी सरकार की उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त तैयार कर चुके होंगे। जबकि पहले साढ़े चार साल में भी सरकार ने इतने काम नहीं किए थे और जो किए भी थे उन्हें लेकर बहुत सारे विवाद भी रहे।