March 29, 2024

2 अक्टूबर मुजफ्फरनगर नगर कांड पर विशेष आजतक इंसाफ के मोहताज उत्तराखण्डी

 

देहरादून ।  एक अलग प्रदेश के अपने सपने को साकार करने के लिए दिल दहला देने वाली जो कुर्बानिया हमारे शहीदों ने दी थी । जब 2 2 अक्टूबर आता है तो हर उत्तराखण्डी ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आखिर इतने लंबे अर्से बाद भी हमारे शहीदों को न्याय क्यों नही मिल पा रहा । अलग उत्तराखण्ड राज्य की लड़ाई लड़ रहेउत्तराखण्डियों पर दो अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर में हुवे अमानवीय अत्याचारों को आज भी यहाँ का आम उत्तराखंडी नहीं भुला पाया है और दोषी पुलिस अधिकारी और कर्मियों पर आज तक कोई भी कारवाई नहीं हो पायी है | तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के इशारे पर तब दो दर्जन से अधिक प्रदर्शनकारी उत्तराखण्डियों को गोली मार दी गयी थी और दर्जनों उत्तराखंडी महिलाओं की अस्मत लूटी गयी थी और दर्जनों महिलाओं के साथ अशोभनीय हरकतें की गयी थी |
लेकिन इस घटना के 24 साल बाद भी उन हत्यारों , बलात्कारियों को उनकी करनी का फल नहीं मिल सका है और उन शहीदों की आत्माएं आज भी बेचैन होकर घूम रही है | राज्य बनने से लेकर अब तक कई मुख्यमंत्रियों को ये प्रदेश देख चुका है , लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि किसी ने भी मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा दिलाने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाये , अगर ऐसा होता तो अब तक इन राक्षसों को उनकी करनी का फल मिल चुका होता | नेतागणों द्वारा हर साल दो अक्टूबर को मुजफ्फरनगर जाकर शहीदों को श्रधांजलि दी जाती है और ऐसा करके एक रस्म अदायगी कर दी जाती है , परन्तु मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों पर कोई बात नहीं होती | जब तक राज्य आन्दोलन के शहीदों और यहाँ की मातृशक्ति को इन्साफ नहीं मिल जाता , तब तक नेताओं की ये रस्म अदायगी , ढकोसले से अधिक और कुछ नहीं होगी |