March 29, 2024

मैथेमैटिक्स गुरू फेम आरके श्रीवास्तव , इनसे सीखे मैथ्स का मैजिक

 कचरे से खिलौने बनाकर 1000 से ज्यादा स्टूडेंट्स को गणित सिखाने वाला Genius

 

विहार ।  बच्चे का खिलौनों से प्यार होना आम बात है।खिलौने बच्चों की आंखों में चमक भर देते हैं,ऐसे में, हर माता पिता कोशिश करते हैं कि वे अच्छे से अच्छा खिलौना लाकर अपने बच्चे के बचपन में रंग भर सकें।

हालांकि, आज भी ग्रामीण इलाकों में सभी परिवार अपने बच्चों के लिए खिलौने खरीदने में असमर्थ हैं।

लेकिन, बिहार के आर के श्रीवास्तव नाम के एक शख्स ने बच्चों की जिंदगी में पैसों की वजह से किसी खुशी की कमी न रह जाए, के लिए काम किया। साथ ही, आर के श्रीवास्तव ने खिलौने के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को गणित पढ़ाने का एक मजेदार तरीका सोचा।

इसके लिए उन्होंने सस्ती सामग्री से नए खिलौने बनाने के तरीके खोजे और विकसित किए। बिहार के रोहतास जिला के बिक्रमगंज मे जन्मे, आरके श्रीवास्तव ने बचपन मे पिता के गुजरने के बाद गरीबी के कारण पैसो के अभाव मे अपनी पढाई वीर कुवँर सिंह विश्वविद्यालय से किया। प्रारंभिक, माध्यमिक और हाईस्कूल की भी पढाई पैसो के अभाव के चलते सरकारी विधालय से किया। उन्हें अपने शिक्षा के दौरान यह एहसास हो गया था कि देश मे वैसे लाखो- करोङो प्रतिभायें होगे जो महंगी शिक्षा, महंगी किताबे इत्यादि के कारण अपने सपने को पूरा नही कर पा रहे।

टीबी की बिमारी के कारण नही दे पाये थे आईआईटी प्रवेश परीक्षा । टीबी की बिमारी के कारण आईआईटीयन न बनने की टिस ने बना दिया सैकङो गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर ।

टीबी की बिमारी के दौरान स्थानीय डाॅक्टर ने करीब 9 महीने दवा खाने का सलाह दिये। उसी दौरान इन 9 महीने मे अकेले घर मे बैठे बैठे बोर होने लगे। फिर उनके दिमाग मे आईडिया आया क्यो न आसपास के स्टूडेंट्स को बुलाकर गणित का गुर सिखाया जाये। पढ़ाने के दौरान वैसे बहुत सारे स्टूडेंट्स थे जो प्रश्न को तो हल कर लेते थे परन्तु उनके काॅन्सेप्ट आजीवन के लिए क्लियर नही हो पाते। आजीवन शब्द का इस्तेमाल इस लिये किया गया की यदि वे कुछ दिन उस चैप्टर की प्रैक्टिस छोङ दे तो जल्द वे भूल जाते थे। स्टूडेंट्स की इन कमियो को दूर करने के लिए वहां उन्होंने स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सस्ती सामग्रियों का इस्तेमाल करके सिंपल खिलौने और शैक्षणिक प्रयोग विकसित किए।

इन खिलौनों के साथ उन्होंने स्कूलों में सेमिनार करके भी बच्चों को गणित के मूल सिद्धांतों को पढ़ाया, उन्होंने मजेदार तरीके से बच्चों को इन खिलौने के जरिए पढ़ाया।ये खिलौने को आकर्षित करते हैं और वह पढ़ने में अपनी रुचि दिखाते हैं।

माचिस की तीलियों और साइकल वाल्व ट्यूब के छोटे-छोटे टुकड़ों से लेकर बेकार कागज का इस्तेमाल करते हैं। इनसे वह सुंदर खिलौने बनाने समेत बच्चों के बीच ‘best-out-of-waste’ का आईडिया भी डाल रहे हैं। गणित के 3d Shape , ज्यमिती, क्षेत्रमिती, बीजगणित, त्रिकोणमिती सहित अनेकों गणित के कठिन से कठिन प्रश्नों को हल कर देते है। इसका मुख्य कारण है खिलौने के सहारे थ्योरी को क्लियर कर चुटकियों मे छात्र-छात्राएँ प्रश्न को हल कर दे रहे।

उन्होंने छोटे ग्रामीण गांव के स्कूलों से लेकर देश के विभिन्न राज्यो के शैक्षणिक संस्थानों तक के 1000 से अधिक बच्चों को खिलौने बनाकर गणित के प्रश्नो को हल करना सिखाया है।

आर के श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्य शैली के चलते इनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन , इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्डस मे दर्ज हो चुका है। दर्जनो अवार्ड से भी सम्मानित हो चुके है। बच्चों को गणित से प्रेरित खिलौने बनाना सिखाकर गणित के काॅन्सेप्ट को रूचिकर बना रहे।