March 29, 2024

प्रदेश की पंचायतों को अधिकारों की दरकार

देहरादून। तमाम दावों के बाद भी प्रदेश की छोटी सरकार को अधिकारों की दरकार है। संविधान में घोषित शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वछता जैसे 29 विषयों में से एक में भी पंचायतों को धरातल पर अधिकार नहीं मिल पाए हैं। 14 विषयों मेें एक्टिविटी मैपिंग हुई लेकिन इसका फायदा भी पंचायतों को नहीं मिला। कहने को प्रदेश में नया पंचायत अधिनियम लागू हो चुका है। इस अधिनियम में भी पंचायतों को अधिकार देने की बात है। पंचायतों को नया टैक्स लगाने से लेकर अन्य अधिकार भी दिए गए। इसके बावजूद अधिकारों के मामले में पंचायतें वित्तीय रूप से केंद्र और राय सरकार से मिलने वाले पैसे पर निर्भर हैं।
पंचायतों को प्रदेश में कुछ हद तक फायदा भी हुआ है। यह फायदा है खातों के ऑनलाइन होने का, ग्राम पंचायत विकास योजनाओं को ऑनलाइन तैयार करने का और सीएससी की मदद लेने का। भारत संचार योजना के तहत अब दूर की पंचायतों को नेटवर्क उपलब्ध कराने की कोशिश भी की जा रही है। कोरोना काल में पंचायतों ने कई जगह बेहतर काम किया, लेकिन सरकार के साथ खींचतान भी उभर कर सामने आई। कई पंचायत प्रतिनिधियों ने क्वारंटीन सेंटरों के लिए पैसे का इंतजाम न होने की शिकायत की। सरकार की ओर से स्वछता और कोरोना संक्रमण से मुकाबले के लिए प्रति पंचायत दस हजार रुपये जारी करने का दावा किया गया लेकिन आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत खर्च के बिल देने का आदेश पंचायतों के लिए सरदर्द ही साबित हुआ। संविधान के 73वें संशोधन के जरिये पंचायतों को स्थानीय स्तर पर बिजली, पानी, स्वछता, गरीबी उन्मूलन, प्राथमिक शिक्षा सहित 29 विषयों पर अधिकार दिए गए थे। इसमें फंड, फंक्शन और फंक्शनरी का अधिकार पंचायतों को है। ये अधिकार पंचायतों को नहीं मिले और यही वजह रही कि कोरोना काल में अपने स्तर पर कोरोना संक्रमण से पार पाने की बजाय पंचायतें प्रदेश सरकार पर निर्भर होकर रह गईं।