April 26, 2024

कलियावाला में बन रहा लोक कला का हब  

काशीपुर। लोक कला को जिंदा करने को चार विदेशियों समेत 15 कलाकार गांव कलियावाला पहुंच गये है। यह कलाकार अपनी कला के जरिये लोक कला को लोगों के बीच पहुंचायेंगे। टेल अस आर्ट संस्था ने गांव में आर्ट रेजीडेंसी तैयार कर दी है। इस रेजीडेंसी के प्रत्येक कमरे में लोक कला को साक्षात देखा जा सकता है। विदेशी एवं भारतीय कलाकार अपनी कला कृतियों को बनाकर मंत्रमुग्ध कर रहे है। गांव कलियावाला में आस्ट्रिया एवं स्वीडन से फिया क्विसबर्ग, केरिना,बैनी, दीतर, समेत भारत के एलएन नागा, यूसूफ, छाया, सोनम, मनीषा, विजय, नरेश कुमार, दीप्ति, पंकज, आशीष बोस,अजमेर संधू, निशा आये हुये है। ये सभी कलाकर टेलअस आर्ट संस्था के तत्वाधान में अपना कला का जादू बिखेर रहे है। यह लोक कला को जिंदा करने में दिनरात एक किये हुये है। टेलअस आर्ट के संस्थापक अजमेर सिंह संधू कलियावाला में लोक कला का हब बनाने की तैयारी में जुटे है। गांव में इन कलाकारों ने वॉल पेंटिंग की। तथा एक विशेष मिटटी से विभिन्न प्रकार की कलाकृतियॉ बनाई। इसके अलावा सोफे, टेबिल, चारपाई,छप्पर भी पुरानी कला की याद ताजा करा रही है। साथ ही खाली शराब की बोतलों से खूबसूरत दीवार को बना दिया। सभी कलाकृतियॉ आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। संस्थापक संधू ने बताया कि पर्यावरण सुरक्षा एवं मानव संस्कृति को जिंदा करने के उद्देश्य से संस्था काम कर रही है। इसके तहत विदेशी नागरिकों ने पेन्टिग बनाकर ग्रामीण संस्कृति को उकेर दिया। आर्ट रेजीडेंसी को बनाया जा चुका है। इसके हर कमरे में लोक कला देखने को मिलेगी। कमरे में प्रत्येक सामान लोक कला के अनुसार होगा। संधू ने बताया कि विदेशी कलाकार हिंदुस्तान की कला को समझने एवं भारतीय कलाकारों के साथ मिलकर कलात्मक गतिविधियों को रूप देंगे। साथ ही कलाकृतियॉ बनायेंगे। उन्होंने बताया कि ढाई एकड़ में कला का हब बनकर तैयार हो रहा इसके लिये तैयारियॉ चल रही है। संस्था का 113 देशों में नेटवर्क है वह जिस देश में जाते हैं, उस देश के कलाकारों को एकत्र कर खत्म हो रही लोक संस्कृति को जिंदा करने का प्रयास करते हैं। देश के टॉप टेन चित्रकारों में शामिल मशूहर चित्रकार यूसूफ भी अपनी कला के जलवे बिखेर रहे है। वह देश के मशहूर चित्रकार एमएफ हुसैन समेत नामी गिरामी चित्रकारों के साथ काम कर चुके है। वह कलियावाला गांव में लोक कला एवं आदिवासी कला का समावेश कर कला का दृश्य बनाना चाहते है। यूसूफ ने बताया कि उत्तराखंड में कला की कोई यूनविर्सिटी,आर्ट कालेज नहीं है। केवल कुमायूं यूनिर्वसिटी में आर्ट फेकल्टी है। कलियावाला में कला का हब बनना एक अछी पहल होगी। इससे न केवल प्रदेश के लोगों का लाभ होगा,बल्कि उत्तराखंड की कला एवं कलाकार को बल मिलेगा। कला का हब बनने से अन्तरराष्ट्रीय कलाकारों को यहॉ आने का मौका मिलेगा। तब यह गांव कलियावाला की जगह कलावाला कहलायेगा। यूसूफ को टर्की, फ्रांस,चीन में कला के लिये इंटरनेशनल तो भारत में कालीदास, एमपी सरकार से शिखर समान मिला है। यूसूफ को भोपाल के अन्र्तराष्ट्रीय भारत भवन दृश्य कला का डिजाइन करने का भी श्रेय प्राप्त है। स्वीडन से भारत आई कलाकार दोस्त फिया ओर केरिना का कहना है कि महिलाओं को बराबर का समान मिलेगा तो भारत यकीनन तरक्की करेगा। टेलअस आर्ट रेजीडेंसी के जरिये गांव कलियावाला में स्वीडन से बेनी एकमेन, फिया ओर केरिना आई है। तीनों आर्टिस्ट है। वह विभिन्न प्रकार से लोक कला को मूर्त रूप देते है। फिया, केरिना ने बताया कि भारत एवं उसके लोग कलरफुल होते है। इसको देखने के लिए वह भारत आई है। दोनों को भारतीय मौसम पसंद है। साथ ही उन्होंने देशी व्यंजन, होली के पर्व का लुत्फ उठाया। कहा कि कला के प्रति यूथ की सोच बदलेगी तो कला के क्षेत्र में बड़े बदलाव देखने को मिलेगा। फिया ओर केरिना ने कहा कि कलियावाला में अब देश एवं विदेशी अर्टिस्टों को भरपूर काम करने का मौका मिल सकेगा। उन्होंने महिलाओं से कला के क्षेत्र में आगे आने का आहवान किया। कहा कि विदेशों में कोरेना के खौफ के कारण लोग घरों में दुबके है। लेकिन उन्हे कलियावाला आकर सुकून मिला है। गांव की ाुली हवा का वह आनंद उठा रही है। संस्था संस्थापक अजमेर संधू ने बताया कि पर्यावरण सुरक्षा एवं मानव संस्कृति को जिंदा करने के उद्देश्य से संस्था काम कर रही है। अजमेर सिंह संधू 25 साल पहले रोजगार के लिए स्वीडन गए थे। वहां पर उन्होंने लोक संस्कृति को जिंदा करने के लिए टेल अस आर्ट संस्था का गठन कर विदेशियों को जोड़ा था। संस्था ने कलियावाला के स्कूल को गोद लेकर गरीब बचों की पढ़ाई का खर्चा उठाने का जिमा लिया है।